💥आसान नहीं ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना, बिना रिश्वत दिए नहीं बनवा सकते लाइसेंस।
💥लाइसेंस नहीं है तो ट्रैफिक को दो, यदि लाइसेंस चाहिए तो परिवहन विभाग को दो, देना तो पड़ेगा ही।
💥चालान और रिश्वत एक ही थैले के चट्टे-बट्टे मगर एक कानूनी तो दूसरा गैरकानूनी।
💥रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध, लेकिन कौन है जिम्मेदार ?
तहतक न्यूज/रायपुर।
देश की जनता से सरकारें बड़े बड़े दावे करती हैं, लेकिन जिस तरह हाथी के दाँत खाने के अलग और दिखाने के अलग होते हैं ठीक उसी तरह इनकी कथनी और करनी दोनों अलग-अलग हैं। जी हां, ‘न खाऊंगा और ना ही खाने दूंगा’ कहने वाली सरकार की सत्ता में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला।
विश्वसनीय सूत्रों के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजधानी रायपुर के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय रायपुर में लाइसेंस बनाने को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है, एक नहीं दो नहीं बल्कि चार-चार लोग एक साथ यह शिकायत कर रहे हैं कि लर्निंग लाइसेंस बनाने के नाम पर हमसे एक हजार रु. की मांग की जा रही है और नहीं देने पर कहा जा रहा है कि अधिकारी से बात करो या फिर पैसे दो इसी शर्त पर लाइसेंस बनेगा।
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अब सोचने वाली बात ये है कि परिवहन विभाग ने जब ऑनलाइन का सिस्टम बना रखा है तो फिर इन रिश्वतखोरों की दुकानें यहां पर किस तरह से लग रही हैं। सूत्रों की मानें तो हर रोज इन रिश्वतखोरों को लाखों रुपए का चढ़ावा चढ़ाया जाता है और जो चढ़ावा चढ़ाते हैं उससे कोई भी सवाल जवाब नहीं किया जाता नहीं उसका ट्रायल लिया जाता है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो रिश्वत दो और लाइसेंस लो जो रिश्वत नहीं देते उसे ट्रायल में फेल कर दिया जाता है या फिर कोई ना कोई कमी निकाल कर परेशान किया जाता है इन सब का चक्कर काट काट कर भोली भाली जनता परेशान होकर चढ़ावा चढ़ाने को मजबूर हो जाती है।
इस मामले में तहतक की बात करें तो यहाँ बताना लाजिमी होगा कि लाइसेंस नहीं होने पर ट्रैफिक विभाग आये दिन परेशान करता है और चालान काटता है। चालान हो या रिश्वत आखिर रूपये तो देने ही पड़ते हैं, सो परेशान जनता लाइसेंस बनवाने के लिए रिश्वत देने को मजबूर हो जाती है क्योंकि उसके लिए यही एक रास्ता आसान नजर आता है। भाजपा शासित राज्य में परिवहन विभाग का यह काला कारनामा तब और घोर निंदनीय हो जाता है जब भाजपा का यह नारा था कि "ना हम खाएंगे ना खाने देंगे" फिर भाजपा शासित राज्य में ही ठीक इसके उलट "जबरन खाएंगे और ठूंस-ठूंस कर खाएंगे" जैसे नारे चरितार्थ होते दिख रहे हैं। परिवहन विभाग में यह कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी आप सब ने ऐसे कई खबरें पढ़ी होंगी कि लाइसेंस बनाने के नाम पर लोगों को किस तरह से लूटा जाता है लोग चक्कर काट-काट कर किस तरह परेशान हो जाते हैं यह बात किसी से छुपी नहीं है,सिर्फ लाइसेंस की ही बात नहीं है परिवहन विभाग में बिना रिश्वत दिए आप कोई भी काम नहीं करा सकते यह सब आप भलीभांति जानते हैं।
बहरहाल अब देखने वाली बात होगी कि परिवहन विभाग में चल रहे घूसखोरी का मामला उजागर होने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार जिम्मेदारों पर कब तक और क्या कार्यवाही करती है।