
तहतक न्यूज/रायगढ़, छत्तीसगढ़।
जिले में जनसुनवाइयों का दौर लगातार जारी है वहीं प्रभावित आम जनता इसका पूरजोर विरोध करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसी क्रम में आज धरमजयगढ़ विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पुरंगा में अडानी ग्रुप की प्रस्तावित मेसर्स अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड कोयला खदान परियोजना के विरोध में सैकड़ों प्रभावित ग्रामीणों ने रायगढ़ कलेक्ट्रेट का घेराव कर जबरदस्त प्रदर्शन किया। 11 नवंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई को तत्काल रद्द करने की मांग करते हुए ग्रामीण कलेक्टर से मिलने की जिद पर अड़ गए और कलेक्ट्रेट के सामने ही धरने पर बैठ गए।
बता दें कि दोपहर करीब 12:30 बजे से तेन्दुमुड़ी, पुरंगा, कोकदार और सामरसिंघा, के ग्रामीण, हाथों में बैनर और तख्तियां लिए कलेक्ट्रेट पहुंचे और कोयला खदान बंद करो, विकास के नाम पर विनाश बंद करो, हमारे जंगल हमारी जान हैं, जल-जंगल-जमीन बचाओ, जैसे नारे लगाते हुए बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुँच कर जमकर प्रदर्शन किया।

ग्रामीणों का आरोप है कि कोयला खदान के खुलने से बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई होगी और क्षेत्र में पहले से ही गंभीर हाथी-मानव द्वन्द की घटनाएं और बढ़ जाएंगी। धरमजयगढ़ वनमंडल में अब तक 167 ग्रामीण हाथियों के हमलों से जान गँवा चुके हैं, जबकि 68 हाथियों की भी जानें गयीं हैं। छाल रेंज में भी 54 ग्रामीणों और 31 हाथियों की मौतें हुई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि 869 हेक्टेयर की इस खदान के लिए जंगल काटे गए, तो हाथियों का विचरण क्षेत्र बाधित होगा, जिससे वे गांवों की ओर रुख करेंगे और ग्रामीण जनजीवन संकट में पड़ जाएगा।

इस परियोजना से भू-जल और कृषि उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। ग्रामीण इस बात से बेहद चिंतित हैं, उनका कहना है कि भूमिगत खदान से सारे तालाब, कुएं और बोरवेल सूख जाते हैं, जिससे आसपास के क्षेत्र में पेयजल और की गर्मी के मौसम में सिंचाई असंभव हो जाएगी। खदान से निकलने वाले पानी के कारण खेत दलदली होंगे और गर्मी में जमीन में दरारें पड़ सकती हैं, जिससे भूमिगत खदान के ऊपर की जमीन पर रबी की खेती ही नहीं हो पायेगी।

वनभूमि का एक बड़ा हिस्सा पेसा क्षेत्र में आता है
क्योंकि यह क्षेत्र पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां पेसा कानून 1996 एवं छत्तीसगढ़ पेसा कानून 2022 पूरी तरह से लागू है। प्रस्तावित खदान का कुल क्षेत्रफल 869.025 हेक्टेयर है, जिसमें से 621.33 हेक्टेयर वन भूमि है और 314.708 हेक्टेयर आरक्षित वन शामिल है। ग्रामीणों का सवाल है कि पेसा कानून के प्रावधानों के बावजूद इतने बड़े पैमाने पर वन भूमि का अधिग्रहण कैसे किया जा रहा है?

ग्रामीणों के समर्थन में क्षेत्रीय विधायक लालजीत सिंह राठिया भी कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्टर ने प्रारंभ में केवल विधायक सहित 8-10 प्रतिनिधियों को ही बातचीत के लिए बुलाया। बैठक के बाद ग्रामीण कलेक्टर द्वारा दिए गए आश्वासन से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने स्वयं कलेक्टर से मिलकर अपनी बात रखने की जिद पकड़ ली। जब ग्रामीण दोबारा कलेक्टर से मिलने के लिए कलेक्ट्रेट भवन की ओर बढ़ने लगे, तो पुलिस ने गेट बंद कर उन्हें रोकने की कोशिश की। इसके बाद ग्रामीण और भड़क गए और कलेक्ट्रेट परिसर के सामने मुख्य गेट पर ही धरने पर बैठ गए। ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक 11 नवंबर की जनसुनवाई रद्द नहीं की जाती, वे पीछे नहीं हटेंगे।











