
तहतक न्यूज/बिलासपुर।
“चिकित्सालय” और “चिकित्सक” जिस पर लोग आँख मुँद कर भरोसा करते हैं। इतना ही नहीं, डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप भी कहा जाता है लेकिन इन पर भी ऊँगलियां उठने लगे तो..? आज कलयुग के जमाने में यह भी भरोसेमंद नहीं रहा। यह जानकर आश्चर्य होगा कि बिलासपुर का चर्चित अपोलो अस्पताल इन दिनों फिर सवालों के कटघरे में खड़ा नजर आ रहा है।
दरअसल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि अपोलो अस्पताल में फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टर को नियुक्त कर मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है और इलाज के नाम पर लाखों की वसूली की जा रही है। कांग्रेस ने इस मामले में कार्रवाई की मांग करते हुए अपोलो अस्पताल से कलेक्ट्रेट तक ‘न्याय मार्च’ निकालने की घोषणा की है।
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अपोलो में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.नरेंद्र विक्रमादित्य यादव की नियुक्ति के दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल समेत कई लोगों की मौत हुई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आईएमए के तत्कालीन अध्यक्ष ने जांच के बाद अपोलो प्रबंधन और राज्य शासन को डॉ. विक्रमादित्य की डिग्री को लेकर रिपोर्ट सौंप दी थी, तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
कांग्रेस का यह भी आरोप है कि अगर सरकार ने समय पर कार्रवाई की होती तो दमोह में हुई आठ मौतों को टाला जा सकता था। कांग्रेस ने अपोलो प्रबंधन, समूह के आला अधिकारियों और तत्कालीन सीएमएचओ के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। इसके लिए कांग्रेस भवन में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें न्याय मार्च की रूपरेखा, रूटचार्ट और जनभागीदारी पर चर्चा हुई। आंदोलन को सफल बनाने के लिए 6 सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया गया है।
बता दें कि इससे पहले भी पूर्व मंत्री और नगर विधायक के करीबी पूर्व महापौर अशोक पिंगले की मौत पर लापरवाही का आरोप लगा था। उस समय भी अपोलो पर बिना जरूरत लोगों को हार्ट प्रॉब्लम बताकर सर्जरी करने का आरोप लगा था, जिससे लोगों में भारी आक्रोश था।
कांग्रेस ने और भी कई सवाल खड़े किये हैं जैसे – बिना डिग्री की जांच किए डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य को कैसे नियुक्त किया गया? पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मृत्यु के लिए जिम्मेदार डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? फर्जी डॉक्टर की सेवा लेने के मामले में अपोलो अस्पताल प्रबंधन के उच्चाधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? अपोलो अस्पताल में शासन की आयुष्मान योजना को लागू क्यों नहीं किया जा रहा है? पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के अलावा और कितने लोगों का उस फर्जी डॉक्टर ने इलाज किया, इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है? वर्तमान में अपोलो अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों और टेक्निकल स्टाफ की डिग्री को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है? इस प्रकार ऐसे कई अनगिनत गंभीर सवाल हैं जिनका जवाब जानना जरुरी है।
जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी ने स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बिलासपुर जिले में केवल अपोलो ही नहीं, बल्कि सिम्स और जिला अस्पताल सहित अन्य तमाम स्वास्थ्य सेवाओं की हालत चिंताजनक है। लोग इलाज कराने की जगह मोटी रकम चुकाने और मौत खरीदने को मजबूर हैं। आखिर बिलासपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को नोट छापने की फैक्ट्री क्यों बना दिया गया है?
फिलहाल अब देखना यह है कि कांग्रेस के इस न्याय मार्च का क्या कुछ प्रभाव पड़ता है? क्या अपोलो प्रबंधन पर कोई कार्रवाई होती है या फिर केवल आश्वासनों का झुनझुना थमा कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा?