
तहतक न्यूज/रायगढ़।
नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की गहमा-गहमी में जहाँ केवल चुनावी चर्चाएं और तैयारियाँ चल रहीं हैं तो वहीं लोकतंत्र के चुनावी पर्व की व्यवस्था में अहम् भूमिका निभाने वाले कुछ जिम्मेदारों के काली करतूतों की खबरें सामने आ रहीं हैं।
बता दें कि नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में अभ्यर्थियों को नामांकन पत्र जमा करना होता है जिसमें आवश्यक दस्तावेजों के साथ शपथपत्र भी देना होता है। यही शपथपत्र नोटरी करवाने पर अभ्यर्थियों को 600 रूपये देने पड़ रहे हैं। नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर सरपंच पद के कुछ अभ्यर्थियों ने बताया कि नामांकन भरने के लिए शपथपत्र बनवाने हेतु 50 रु. के स्टाम्प पेपर को 60 रु. में लेकर उसको नोटरी करवा रहे हैं तो 600 रूपये देना पड़ रहा है जबकि अन्य शपथपत्र 150 से 200 रूपये में बन जाते हैं। इतना ही नहीं, मतदातासूची की कॉपी के लिए एक पेज की जगह पूरा सेट मनमाने कीमत पर खरीदना पड़ रहा है। अब क्या करें? मजबूरी है, चुनाव लड़ना है तो जितना मांगेंगे उतना तो देना ही पड़ेगा।

अभ्यर्थियों की मानें तो यहाँ चुनावी मौके का भरपूर फायदा उठाया जा रहा है। जिला मुख्यालय के नाक के नीचे चल रहा अवैध वसूली का खुला खेल वास्तव में चल रहा है तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
बात मामले की तह तक की करें तो वर्तमान युग में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी बैठ गयीं हैं कि लोग चाह कर भी शिकायत लेकर सामने आना नहीं चाहते क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं अगला उसका दुश्मन न बन जाय और मेरा काम बिगड़ जाय। दूसरी बात ये है कि भ्रष्टाचार पर कार्यवाही करने या अंकुश लगाने वाले जिम्मेदार बिना शिकायत के कोई कार्यवाही नहीं करते। इस प्रकार पूरा सिस्टम मूक-बधिर और दिव्यांग बना खामोश बैठा है।अब ऐसे में भला सुशासन की कल्पना करना किसी मृग मरीचिका के सिवा कुछ भी नहीं है।